Sunday, September 17, 2023

सोच

कुछ लकीरे ऐसी भी 

कुछ आड़ी तिरछी लकीरे जो उठती है मेरे जहन में
कुछ अजीब से अक्श बना जाती है मेरे जिगर में
जब जोड़ने लगता हूँ उनको तो बिखर जाती है 
जब तकता हूँ हैरान सा उनको 
तो मेरी बेबसी पर वो खिलखिलाती है 

नही जानता क्या शक्ल लेना चाहती है वो
नही जानता की कोई है भी के नही वो 
ये भी नही जानता की कभी कोई शक्ल भी बन पायेगी 
ये भी नही जानता कि 
कभी मेरी नजर के सामने भी वो आएगी 

बस ये एक अहसास है 
जो मुझे तन्हाईयो से बचाये रखता है 
मेरी तन्हा जिंदगी में उम्मीदों की शमा जलाये रखता है
तुम लकीरे हो या शख्सियत 
ये बेमायने हे मेरे लिए
तुम कुछ भी हो बस मेरी हो
बस मेरी ये ही अहम है मेरे लिए।

निवेदक  प्रवीन झाँझी

Saturday, July 1, 2023

भक्त की इच्छा

एक बार महाभारत युद्द के बाद द्रोपदी ने भगवान् कृष्ण से पूछा कि जब दुर्योधन की सभा मे मेरा अपमान हुआ तब ही आपने उन्हे मारा क्यो नही l भगवान् हँस कर बोले "तुमने अपनी लाज की रक्षा की गुहार लगाई वो मैंने कर दी l उनको मारने की तुमने प्रार्थना ही नही की l" इसलिए प्रभु से जो प्रार्थना करो सोचकर करोl जैसे भगवान् से एक प्रार्थना होती है की मुझे हर काम करने के लिए नौकर दो या कि यह कहो की प्रभु मुझे इतना समर्थ रखो की मुझे किसी की जरूरत न पड़े l क्या मांगना है यह आप सोचिये l