Wednesday, October 9, 2024
Brahma, Vishnu, Mahesh
In Hindu religion three Gods are important. Are they different Gods or is one only. Let us understand like this. Suppose you are Mr.X at home and Mr.Chairman in office and Adinistrator to terminate or retire a person. So you are a single person performing different duties.
अग्नि परीक्षा
माता सीता की अग्निपरीक्षा का सच
जब भगवान विष्णु के राम स्वरूप् में सीता माता के अपहरण का समय आया तो भगवान ये जानते थे की सीता रूप में माता लक्ष्मी को कोई छुएगा भी तो वो भस्म हो जायेगा। मगर उनके अवतार के लिए और रावण की मृत्यु के लिए ये लीला आवश्यक थी इसलिये उन्होंने माता सीता से ये अनुरोध किया की जब आप लक्ष्मण रेखा पार करे तो अग्नि में प्रवेश कर जाये और अपनी छाया को सीता रूप में लक्ष्मण रेखा के पार जाने दे। उन्होंने ऐसा ही किया और उनकी छाया में ही उनके सतीत्व का इतना प्रभाव था कि रावण ने अशोक वाटिका में जब एक बार उन्हें छूने की कोशिश की तो उन्होंने एक तिनके को जमीन पर मारा था और उससे इतनी ज्वाला रुपी शक्ति निकली की रावण जैसा शक्तिशाली राजा भी डर गया था। रावण के वध के बाद माता सीता की अग्नि परीक्षा इसीलिए ली गयी थी कि वो अपने छाया प्रतिरूप में प्रवेश कर वापिस अपने असली रूप में आ सके।
जय सीता राम। सबको रामनवमी की हार्दिक शुभ कामनाये।
Saturday, August 17, 2024
Kalyug
Birth in KALYG
Kalyug means present era of earth. It further means era of Kl Purje means mechanical era. The human life has became so mechanical that we have started acting like mechines. This is the era when ADHARM is having ,3 legs and DHARAM is having only one. So accordingly there are two types of souls taking birth in this era- one those have done a lot of sins in past births but did a little good KARAMs and to get the credit of those good KARAMS they are given human birth. The other are those who had done all the Good KARAMS but have done some sins also. To neutralize those sins they are forced to take birth as humans in this era of earth. So you please decide from which category you belongs to.Thanks
Sunday, September 17, 2023
सोच
कुछ लकीरे ऐसी भी
कुछ आड़ी तिरछी लकीरे जो उठती है मेरे जहन में
कुछ अजीब से अक्श बना जाती है मेरे जिगर में
जब जोड़ने लगता हूँ उनको तो बिखर जाती है
जब तकता हूँ हैरान सा उनको
तो मेरी बेबसी पर वो खिलखिलाती है
नही जानता क्या शक्ल लेना चाहती है वो
नही जानता की कोई है भी के नही वो
ये भी नही जानता की कभी कोई शक्ल भी बन पायेगी
ये भी नही जानता कि
कभी मेरी नजर के सामने भी वो आएगी
बस ये एक अहसास है
जो मुझे तन्हाईयो से बचाये रखता है
मेरी तन्हा जिंदगी में उम्मीदों की शमा जलाये रखता है
तुम लकीरे हो या शख्सियत
ये बेमायने हे मेरे लिए
तुम कुछ भी हो बस मेरी हो
बस मेरी ये ही अहम है मेरे लिए।
निवेदक प्रवीन झाँझी
Saturday, July 1, 2023
भक्त की इच्छा
एक बार महाभारत युद्द के बाद द्रोपदी ने भगवान् कृष्ण से पूछा कि जब दुर्योधन की सभा मे मेरा अपमान हुआ तब ही आपने उन्हे मारा क्यो नही l भगवान् हँस कर बोले "तुमने अपनी लाज की रक्षा की गुहार लगाई वो मैंने कर दी l उनको मारने की तुमने प्रार्थना ही नही की l" इसलिए प्रभु से जो प्रार्थना करो सोचकर करोl जैसे भगवान् से एक प्रार्थना होती है की मुझे हर काम करने के लिए नौकर दो या कि यह कहो की प्रभु मुझे इतना समर्थ रखो की मुझे किसी की जरूरत न पड़े l क्या मांगना है यह आप सोचिये l
Wednesday, October 16, 2013
Sunday, November 25, 2012
हिंदू धर्म में चीनी का
इतिहास
इस दुनिया के आरम्भ में जब राजा दक्ष ने जो भगवान शिव के ससुर थे ने मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया मगर क्योंकि उन्होंने साथ में शिवलिंग नही रखा था इसलिए प्रथा के अनुसार उस प्रतिमा को मन्दिर में नहीं ले जाया जा
सकता था। तब प्रतिमा को बनाने वाले कलाकार ने एक शिव लिंग बनाकर देवी सती को दे दिया जो
कि राजा दक्ष की पुत्री थी और उन्होंने उस शिव लिंग को साड़ी में छिपाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ मन्दिर में प्रवेश करवा दिया था। जब राजा दक्ष को पता चला कि उसकी बेटी देवी सती ने एक छिपे हुए शिव
लिंग के साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा की स्थापना की है तब राजा
बहुत क्रोधित हुआ क्योंकि वह भगवान शिव के खिलाफ था और भगवान विष्णु का एक बड़ा अनुयायी था तथा वह यह गलत धारणा रखता था कि उनके पिता भगवान ब्रह्मा को भगवान शिव द्वारा दंडित किया गया था। वह यह तथ्य नही मानता था कि यह सभी तीन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और
शिव असल में एक परमात्मा प्रभु साम्ब सदाशिव के तीन भाग हैं। क्रोध में राजा दक्ष ने कलाकार और उसके समाज को राज्य से निष्कासित
कर दिया और उन्हें शरण देने के लिए किसी को भी अनुमति नहीं दी । तो कलाकारों का वो समुदाय शरण के लिए कैलाश -भगवान शिव के निवास पर चले गए
और वहाँ की घाटी जो अब तिब्बत और चीन है में रहने की अनुमति भगवान शिव से प्राप्त कर ली थी।
शायद यही कारण है कि चीनी और जपानी आम तौर पर शिल्पकार और अच्छे कारीगर पाए जाते हैं। बाद में देवी सती ने भगवान शिव से शादी कर ली थी जो की एक लंबी कहानी है।
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