Sunday, November 25, 2012


हिंदू धर्म में चीनी का इतिहास

 इस दुनिया के आरम्भ में  जब राजा दक्ष ने जो भगवान शिव के  ससुर थे ने मंदिर में   भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया मगर क्योंकि उन्होंने साथ में शिवलिंग नही रखा था इसलिए प्रथा के अनुसार उस प्रतिमा को मन्दिर में नहीं ले जाया जा सकता था। तब प्रतिमा को बनाने वाले कलाकार ने एक शिव लिंग बनाकर देवी सती को दे दिया जो कि राजा दक्ष की पुत्री थी और उन्होंने  उस शिव लिंग को साड़ी में छिपाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ मन्दिर में प्रवेश करवा दिया था। जब राजा दक्ष को पता चला कि उसकी बेटी देवी सती ने एक छिपे हुए शिव लिंग के साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा की स्थापना की है  तब राजा बहुत क्रोधित हुआ क्योंकि  वह भगवान शिव के खिलाफ था और भगवान विष्णु का एक बड़ा अनुयायी था तथा वह यह गलत  धारणा रखता था  कि उनके पिता भगवान ब्रह्मा को  भगवान शिव द्वारा दंडित किया गया था। वह यह  तथ्य नही मानता था कि  यह सभी तीन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव असल में  एक परमात्मा प्रभु साम्ब सदाशिव के तीन भाग हैं। क्रोध में राजा दक्ष ने  कलाकार और उसके समाज को राज्य से निष्कासित कर दिया और उन्हें शरण देने के लिए किसी को  भी  अनुमति नहीं दी । तो कलाकारों का वो समुदाय शरण  के लिए कैलाश -भगवान शिव के  निवास पर चले गए और वहाँ की  घाटी जो अब तिब्बत और चीन है में रहने की अनुमति भगवान शिव से प्राप्त कर ली थी। शायद यही  कारण है कि चीनी और जपानी  आम तौर पर शिल्पकार और अच्छे कारीगर पाए जाते हैं। बाद में देवी सती ने भगवान शिव से शादी कर ली थी जो की  एक लंबी कहानी है।  
Original
Perhaps this is one of the reasons that the CHINESE and JAPNESE are generally found to be artisans.  

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